मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि अगले साल हरिद्वार में शुरू होने वाले महाकुंभ में श्रद्धालुओं को पास के आधार पर प्रवेश व स्नान की अनुमति दी जाएगी। इसकी रूपरेखा के लिए अखाड़ों परिषदों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। शुक्रवार को राज्य सरकार के साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर आयोजित वर्चुअल कांफ्रेंस में सीएम त्रिवेंद्र ने यह ऐलान किया।कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सरकार को यह फैसला लेना पड़ा। अब सरकार ने साफ कर दिया कि कुंभ ऐसा भव्य नहीं होगा, जैसा कोरोना महामारी संक्रमण से पहले समझा जा रहा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ अपने लगन पर ही परंपरागत ढंग से शुरू होगा। श्रद्धालुओं को सीमित करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाएंगे, इस पर अखाड़ा परिषदों के साथ रूपरेखा तय की जाएगी। जनवरी, 2022 से महाकुंभ शुरू होगा, लेकिन पहला शाही स्नान मार्च माह में होगा।
2010 हरिद्वार महाकुंभ में 1.60 करोड़ श्रद्धालु आए थे
महाकुंभ लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। वर्ष 2010 में हरिद्वार महाकुंभ में रिकॉर्ड 1.60 करोड़ श्रद्धालु एक दिन में पहुंचे थे। नासा ने सेटेलाइट के जरिए यह रिपोर्ट पेश की थी। इसकी वजह से उत्तराखंड को बेहतर भीड़ प्रबंधन पर यूनस्को ने पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया था।
देवस्थानम बोर्ड सबसे सुधारात्मक कदम
सीएम त्रिवेंद्र ने चारधाम के लिए देवस्थानम बोर्ड के गठन को सबसे सुधारात्मक कदम बताया। कहा कि इससे देश-दुनिया के श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और पुरोहित व व्यापारी समाज को भी व्यापक लाभ होंगे। पूछे जाने पर कहा कि कुछ लोग राजनीति से प्रेरित होकर विरोध कर रहे हैं, कुछ के निजी स्वार्थ हो सकते हैं, लेकिन सरकार को पंडा समाज का पूरा समर्थन मिल रहा है। उन्होंने फिर कहा कि पंडा-पुरोहित समाज के हक-हकूक का पूरा ख्याल रखा जाएगा।